शनिवार, 9 जून 2012

हो गयी है पीर पर्वत सी पिघलनी चाहिए
इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए !

आज ये दिवार,पर्दों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी की ये बुनियाद हिलनी चाहिए !

हर सड़क पे, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए !

सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश ये है की ये सूरत बदलनी चाहिए !

मेरे सिने में नहीं तो तेरे सिने में सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए !

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