मंगलवार, 27 मार्च 2012

स्वतंत्रता :

एक व्यक्ति किन्हीं महात्मा के पास गया और उनसे पूछा, "क्या मनुष्य स्वतन्त्र है? यदि वह स्वतन्त्र है तो कितनास्वतन्त्र है?क्या उसकी स्वतंत्रता की कोई परिधि है? भाग्य, किस्मत, नियति, दैव आदि क्या है? क्या ईश्वर ने हमेंकिसी सीमा तक बंधन में रखा है?"

लोगों के प्रश्नों के उत्तर देने की महात्मा की अपनी शैली थी. उन्होंने उस व्यक्ति से कहा, "खड़े हो जाओ".

यह सुनकर उस व्यक्ति को बहुत अजीब लगा. उसने सोचा, "मैंने एक छोटी सी बात पूछी है और ये मुझे खड़ा होने केलिए कह रहे हैं. अब देखें क्या होता है". वह खड़ा हो गया.

महात्मा ने उससे कहा, "अब अपना एक पैर ऊपर उठा लो".

यह सुनकर उस व्यक्ति को लगा कि वह किसी अहमक के पास चला आया है. मुक्ति और स्वतंत्रता से इसका क्यासंबंध है!? लेकिन अब वह फंस तो गया ही था. वह उस जगह अकेला तो था नहीं. आसपास और लोग भी थे. महात्मा का बड़ा यश था. उनकी बात मानना उनका अनादर होता. और फिर उसमें कोई बुरी बात भी थी. इसलिए उसने अपना एक पैर ऊपर उठा लिया. अब वह सिर्फ एक पैर के बल खड़ा था.

फिर महात्मा ने कहा, "बहुत बढ़िया. अब एक छोटा सा काम और करो. अपना दूसरा पैर भी ऊपर उठा लो".

"यह तो असंभव है!", व्यक्ति बोला, "ऐसा हो ही नहीं सकता. मैंने अपना दायाँ पैर ऊपर उठाया था. अब मैं अपनाबायाँ पैर नहीं उठा सकता".

महात्मा ने कहा, "लेकिन तुम पूर्णतः स्वतन्त्र हो. तुम पहली बार अपना बायाँ पैर उठा सकते थे. ऐसा कोई बंधननहीं था कि तुम्हें दायाँ पैर ही उठाना था. तुम यह तय कर सकते थे कि तुम्हें कौन सा पैर ऊपर उठाना है. मैंने तुम्हेंऐसा कोई निर्देश नहीं दिया. तुमने ही निर्णय लिया और अपना दायाँ पैर उठाया."

"अपने इस निर्णय में ही तुमने अपने बाएं पैर को उठाना असंभव बना दिया. यह तो बहुत छोटा सा ही निर्णय था. अब तुम स्वतंत्रता, भाग्य और ईश्वर की चिंता करना छोड़ो और मामूली चीज़ों पर अपना ध्यान लगाओ".

मशवरा

अपनी उम्र को आधा करके बताना, अपने कपड़ों की कीमत को दोगुना करके बताना और सहेली की उम्र में पांच साल जोड़कर बताना, दुनिया की अनपढ़ से अनपढ़ महिला भी इतना गणित तो जानती ही है।
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कुछ फिल्मी सुन्दरियां मन्दिर में भी धूप का चश्मा पहनकर जाती हैं; उन्हें डर लगा रहता है कि कहीं भगवान उन्हें पहचान कर ऑटोग्राफ न मांग बैठें।
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नाश्ते से पहले कुछ काम न करो; अगर नाश्ते से पहले कुछ करना ही पड़े, तो पहले नाश्ता करो।
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अपनी आमदनी के अन्दर खर्च करो चाहे इसके लिये तुम्हें कर्ज ही क्यों न लेना पड़े।
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बाबा आदम के जमाने से ही बेवकूफ बहुमत में रहते आये हैं।
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आदमी की आधी जिंदगी उसके माता-पिता बिगाड़ देते हैं, बाकी आधी उसके बच्चे।
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कई बीवियां रखने में एक फायदा है; वे अपने पति से लड़ने की बजाय आपस में ही लड़ती रहती हैं।
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अगर बुरे लोग न होते, तो अच्छे वकील न मिलते।
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मानवजाति का अन्त यह होगा कि आखिर एक रोज वह सभ्यता से घुट मरेगी।
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दुनिया में तीन चीजें हैं जिन्हें औरतें नहीं समझतीं – आजादी, बराबरी और भाईचारा।
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हर औरत को शादी करनी चाहिये- पर मर्द को हरगिज नहीं।
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अगर आप किसी बार बार आने वाले दुष्ट से पिण्ड छुड़ाना चाहते हैं तो उसे कुछ पैसा उधार दे दीजिये।
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आदमी जवानी में सोचता है कि पैसा सबसे अहम चीज है और बुढ़ापे में यह हकीकत उस पर खुल जाती है।
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पत्ते अच्छे हों तो आदमी ईमानदारी से खेलना पसंद करता है।
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दुनिया में दो ही ट्रेजडी हैं : एक आप इच्छित वस्तु को पा न सकें; दूसरी उसे पा जायें।
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काम दुनिया में सबसे बड़ी चीज है, इसलिये हमें चाहिये कि हमेशा कल के लिये भी रहने दिया करें।
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महिलाएं हमेशा पुरुषों के भूलने की आदत से परेशान रहती हैं, जबकि पुरुष महिलाओं की याद रखने की आदत से पीड़ित ।
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चूंकि प्रकाश की गति ध्वनि से तेज होती है इसलिए लोग तब तक अधिक सुन्दर प्रतीत होते हैं जब तक कि आप उन्हें बोलता हुआ न सुन लें।
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यदि आप किसी को समझा नहीं पा रहे हैं, तो उसे उलझा दें।
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यदि आप पहली बार में सफल न हों, तो अपनी असफलता के सारे चिन्ह मिटा दें।
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जिसे मृत्यु कहते हैं, वह चीज है जिस पर लोग रोते हैं, फिर भी एक तिहाई जीवन सोने में गुजार दिया जाता है।
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गुरुवार, 22 मार्च 2012

चुटकुले

योजना आयोग के अध्यक्ष की गाड़ी गलती से रेड लाइट पर रुक गई



भिखारीः सर एक रुपया दीजिए...रोटी खानी है


अध्यक्षः मैं तुम्हें सौ रुपए दूंगा तुम बस ये बता दो कि हमारी सरकार के होते हुए एक रुपए में रोटी मिल कहां रही है।
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तीन दोस्त एक ऊंची ईमारत की सौवीं मंजिल पर रहते थे।

एक दिन बेचारे काम से घर लौटे तो लिफ्ट काम नहीं कर रही थी।

दोस्तों ने सीढ़ियों से ऊपर जाने का फैसला किया

पहली 50 मंजिलों तक एक दोस्त ने एक्शन फिल्म की स्टोरी सुनाई और समय कट गया। इसके बाद 99वीं मंजिल

तक दूसरे दोस्त ने एक रोमांटिक फिल्म की स्टोरी सुनाई...

लेकिन 100वीं मंजिल पर फ्लैट के बाहर छोड़कर तीसरे दोस्त ने सिर्फ एक लाइन सुनाई कि तीनों की आंख में आंसू आ

गए...

उसने कहा....मै चाबी कार में ही छोड़ आया हूं।
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संता फॉयर ब्रिगेड में भर्ती ही हुआ था कि एक फोन आ गया

कॉलरः जल्दी आईये मेरे घर में आग लगी है


संताः आग बुझाने के लिए जल्दी से पानी डालो


कॉलरः मैंने डाला था लेकिन नहीं बुझी


संताः फिर हम आकर क्या करेंगे, हमने भी तो पानी ही डालना है।
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पापा: बेटा, मेरे लिए एक गिलास पानी लाना!


छोटा बेटा: नहीं लाऊंगा!


बड़ा बेटा: रहने दो पापा! ये तो है ही बदतमीज!


आप खुद ले लो और मेरे लिए भी लेते आना!
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एक बार सलमान खान बाबा कामदेव के पास गए

सलमानः कितने प्रतिशत युवक सोचते हैं कि मेरी और कैटरीना की शादी होगी
बाबा कामदेवः 10 प्रतिशत
सलमानः सिर्फ दस प्रतिशत, ऐसा क्यूं
बाबा कामदेवः क्योंकि बाकी के 90 प्रतिशत युवक कैटरीना से खुद शादी करना चाहते हैं।
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एक मोबाइल कंपनी के सेल्समैन को दस्त हो गए। वो सीधा डॉक्टर के पास गया

सेल्समैनः डॉक्टर सॉब सुबह से ही अनलिमिटेड आउटगोइंग चल रही है। अंदर से नई-नई रिंगटोन सुनाई दे रही है। पेट

में बेंलैंस भी खत्म हो गया है। छोटा रिचार्ज भी करता हूं तो पांच मिनट में ही डिस्चॉर्ज हो जाता है। कृपया करके इस

स्कीम को किसी भी तरह बंद करें।
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संता-बंता जैसे ही स्टेशन पहुंचे ट्रैन चलने लगी

संता भागकर ट्रैन में चढ़ गया। लोग बोले वाह क्या बात है

यह सुनते ही संता बोलाः ओए शिट्ट यार...जिसने जाना था वो तो पीछे ही रह गया।
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एक सरकारी कर्मचारी का बेटा अपने दो दोस्तों के साथ स्कूल से घर लौट रहा था और रास्ते में आते हुए वे अपने घर के बारे में बातचीत कर रहे थे बात करते करते वे अपने अपने पापा के बारे में बात करने लगे!


पहला दोस्त अरे मेरे पापा से तेज तो दुनिया में कोई भी नही है वे 90 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ़्तार से गेंद फेंकते हैं और जब तक यह दूसरी तरफ के विकेट तक पहुंचती है तब तक मेरे पापा उसे भागकर पकड़ लेते है!


दूसरा लड़का अरे मेरे पापा तो तुम्हारे पापा से कई गुना तेज है वे इतने तेज है कि जब वे गोली चलाते है तो टार्गेट पर पहुंचने से पहले ही भागकर उसे पकड़ लेते है!


सरकारी कर्मचारी का बेटा बोला अरे ...तुम दोनों के पापा तो मेरे पापा के सामने कुछ भी नही मेरे पाप सरकारी कर्मचारी है हालांकि वे रोज 5 बजे तक काम करते है फिर भी 4 बजे घर पहुंच जाते है!
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परेशान संता कुए के पास बैठा था कि एक मेंढ़क बाहर आया


संता (मेढ़क से)- यार मुझमे ऐसा क्या है कि सब मुझी पर जोक्स बनाते हैं


यह सुनकर मेढ़क कुछ नहीं बोला, वापस कुए में कूद गया


संताः यार इसमें आत्महत्या करने वाली क्या बात थी।
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प्रिय भगवान,


मुझे शक्ति और बुद्धी दे ताकि मैं...

आयकर
जीएसटी
वैट
सीएसटी
सर्विस टैक्स
एक्साइज ड्यूटी
कस्टम्स ड्यूटी
टीडीएस
ईएसआई
प्रापर्टी टैक्स
स्टांप ड्यूटी
सीजीटी
वॉटर टैक्स
मनोरंजन कर
गिफ्ट टैक्स
प्रैफेशनल टैक्स
रोड टैक्स
टोल टैक्स
एसटीटी
एजुकेशन सैस
वेल्थ टैक्स
कैपिटल गैन टैक्स


कंजेशन लैवी...और आदि-आदि प्रकार के टैक्स चुका सकूं

और साथ में
हफ्ता
चंदा
रिश्वत
डोनेशन
करप्शन शुल्क आदि-आदि भी वक्त पर बिना अपनी जान खतरे में डाले अदा कर सकूं...

और यदि यह सब चुकाने के बाद भी कुछ (धन और जान) बच जाए...तो व्यापार कर सकूं

तुम्हारा अपना
आम नागरिक
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शनिवार, 17 मार्च 2012

हसी के गुब्बारे

लड़का :- सर,मै आपकी बेटी से पिछले १५ साल से प्यार करता हु।
लड़की का बाप :- तो अब क्या चाहते हो ?
लड़का :- शादी
लड़की का बाप :- थैंक्स गॉड, मैंने सोचा शायद तुम पेनशन चाहते हो ।
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एक युवक एक युवती को डिनर पे ले जाने वाला था।
युवती ने एक महंगे और प्रसिद्द होटल में चलने का प्रस्ताव रखा
"वह बहोत भीड़ होने लगी है अब ।" युवक ने बताया - "अब तो वह कोई भी नहीं जाता । "
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एक युवक एक पुलिसवाले के साथ मारपीट, हाथापाई, करने के जुर्म में अदालत में पेश किया गया ।
जज - क्या हुआ था ?

युवक - जनाब, मै टेलीफ़ोन बूथ में था, और एकदम शांतिपूर्ण ढंग से अपनी गर्लफ्रेंड रीना से बात कर रहा था । तभी ये सांड जैसा पुलिसिया वह पहुच गया और न जाने इसे फ़ोन करने की ऐसी क्या जल्दी थी की इसने मेरी बाह पकड़कर मुझे बहार खीचा और सड़क पे धक्का दे दिया ।

जज - ये तो सचमुच इस पुलिसवाले की ज्यादती है । जब तुम पहले से बूथ में मौजूद थे तो ...

युवक - इसने और भी ज्यादती की सरकार ।

जज - अच्छा ? और भी ज्यादती की ?

युवक - जी, फिर इसने रीना की बांह पकड़कर उसे बहार खीचा और उसे भी सड़क पे धक्का दे दिया ...
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प्यारी सुषमा,
मेरे सपनो की रानी। इतने अरसे के बाद तुम्हे पत्र लिखने के लिए मजबूर हो गया हु । जबसे मैंने तुमसे सगाई तोड़ी है, सच कहता हु एक रात भी ठीक से सो नहीं पाया हु । तुमसे जुदा होने के बाद अहसास हुआ की तुम्हारे बिना जीना संभव नहीं । हर पल हर तरफ बस तुम्ही दिखाई देती हो । मै जनता हु तुम्हारा दिल बहोत बड़ा है । हर बार की तरह तुम मेरी यह भूल भी माफ़ कर दोगी । मै वापस तुम्हारे पास आ रहा हु । मुझे तुम्हारे सिवा दुनिया में और किसी की जरुरत नहीं ।

तुम्हारा और सिर्फ तुम्हारा
निरंजन

पुनश्च : सिक्किम सरकार की एक करोड़ की लोटरी जितने पे हार्दिक बधाई ।
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जी मिचलाने की शिकायत लेकर जब एक मां अपनी 18 वर्षीया पुत्री को लेकर डॉक्टर के पास पहुंची तो पाया कि वह गर्भवती है। रोती, पीटती, कोसती हुई वह उसे घर लेकर आई और बोली – वह कौन सुअर का बच्चा है जिसने यह कुकर्म किया है। जल्दी से उसे यहां बुला नहीं तो तुझे जान से मार दूंगी।

रोते-रोते लड़की ने एक फोन लगाया। लगभग आधे घण्टे बाद एक मर्सडीज दरवाजे पर आकर रुकी । उसमें से एक सुन्दर सा नौजवान निकला और अन्दर आकर सोफे पर बैठ गया। बोला – मैं ही वह आदमी हूं जिसकी वजह से आपको परेशानी हुई है। मैं आप लोगों का अपराधी हूं। लेकिन मैं उसका दण्ड भुगतने को तैयार हूं। देखिये, आपकी बेटी से शादी करना तो सम्भव नहीं है क्योंकि उसके लिए मेरे पिता कभी तैयार नहीं होंगे। पर मैं पैसे से आपकी मदद कर सकता हूं। मैं आपकी बेटी की सारी जिंदगी की जिम्मेदारी लेता हूं। अगर उसके लड़की हुई तो मैं उसके नाम दस करोड़ रु., एक बंगला, एक गाड़ी और एक नई फैक्टरी लगवा दूंगा। अगर लड़का हुआ तो उसके नाम बीस करोड़ रु, मुंबई और दिल्ली दोनों शहरों में एक-एक आलीशान कोठी और एक बहुत बड़ी फैक्टरी बनवा दूंगा। और अगर बदकिस्मती से गर्भपात हो गया तो ……. तो आप ही बताइये मुझे क्या करना चाहिए ?

लड़की का पिता, जो अब तक चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था, धीरे से उठा और नौजवान का हाथ अपने हाथ में लेकर नरमी से बोला – बेटा ! भगवान न करे ऐसा हो ! और अगर हो भी जाए तो तुम दोबारा कोशिश करके देख सकते हो ……………..
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जी मिचलाने की शिकायत लेकर जब एक मां अपनी 18 वर्षीया पुत्री को लेकर डॉक्टर के पास पहुंची तो पाया कि वह गर्भवती है। रोती, पीटती, कोसती हुई वह उसे घर लेकर आई और बोली – वह कौन सुअर का बच्चा है जिसने यह कुकर्म किया है। जल्दी से उसे यहां बुला नहीं तो तुझे जान से मार दूंगी।

रोते-रोते लड़की ने एक फोन लगाया। लगभग आधे घण्टे बाद एक मर्सडीज दरवाजे पर आकर रुकी । उसमें से एक सुन्दर सा नौजवान निकला और अन्दर आकर सोफे पर बैठ गया। बोला – मैं ही वह आदमी हूं जिसकी वजह से आपको परेशानी हुई है। मैं आप लोगों का अपराधी हूं। लेकिन मैं उसका दण्ड भुगतने को तैयार हूं। देखिये, आपकी बेटी से शादी करना तो सम्भव नहीं है क्योंकि उसके लिए मेरे पिता कभी तैयार नहीं होंगे। पर मैं पैसे से आपकी मदद कर सकता हूं। मैं आपकी बेटी की सारी जिंदगी की जिम्मेदारी लेता हूं। अगर उसके लड़की हुई तो मैं उसके नाम दस करोड़ रु., एक बंगला, एक गाड़ी और एक नई फैक्टरी लगवा दूंगा। अगर लड़का हुआ तो उसके नाम बीस करोड़ रु, मुंबई और दिल्ली दोनों शहरों में एक-एक आलीशान कोठी और एक बहुत बड़ी फैक्टरी बनवा दूंगा। और अगर बदकिस्मती से गर्भपात हो गया तो ……. तो आप ही बताइये मुझे क्या करना चाहिए ?

लड़की का पिता, जो अब तक चुपचाप उसकी बातें सुन रहा था, धीरे से उठा और नौजवान का हाथ अपने हाथ में लेकर नरमी से बोला – बेटा ! भगवान न करे ऐसा हो ! और अगर हो भी जाए तो तुम दोबारा कोशिश करके देख सकते हो ……………..
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बुधवार, 14 मार्च 2012

कुछ शायरी...

तस्वीरो का रोग भी आखिर कैसा होता है
तन्हाई में बात करे तो बोलने लगती है ...
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चलेगे साथ लेकिन उम्र भर मिल न पायेगे
नदी के दो किनारों की कहानी भी निराली है ...
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गमे-ऐ-ज़िन्दगी से फुर्सत ही न मिली वरना
अगर हम किसी के होते तो सिर्फ तुम्हारे होते ...
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गरीबो की बस्तिया है कहाँ से शोखिया लाऊ,
यहाँ बच्चे तो रहते है मगर बचपन नहीं रहता...
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गर नींद पूरी करे तो पूरी रोटी न कमाई जाये,
और जब पूरी रोटी न मिले तो पेट नींद खा जाये...
गरीब के घर में भी बंटवारा होता है रोज़...
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उसको सजने की, सवरने की, ज़रूरत ही नहीं..
उसपे जचती है, 'हया' भी किसी जेवर की तरह...
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ताबीर ही सोचते रहे हम अधूरे खाव्बो की,
और नींद आँखों की देहलीज पर तड़पती रह गयी...
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आज भी बैठा था वो, मेरे पीठ पीछे ही,
लोगों की भीड़ थी वरना खंज़र चलाता आज भी...
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दिन भर, रात भर, क्या बताऊँ मैं कैसी कशमकशों में रहता हूँ,
वो याद आने की जिद पे रहता है, मैं भूलने की कोशिशो में रहता हूँ...
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होशियार

एक अमरीकी नागरिक ने एक यहूदि से पूछा
“तुम लोग इतने होशियार कैसे बन गए?”

यहूदी ने कहा: “हम एक विशेष तेल का प्रयोग करते हैं और रोज सर पर लगाकर मालिश करते हैं। तुम चाहो तो एक शीशी तुम्हें बेच सकता हूँ।

अमरीके ने बडी खुशी से पैसे देकर तेल खरीदी।
दूसरे ही दिन वह वापस आकर यहूदी से कहा ” अरे यह तो केवल मूँगफ़ली का तेल है”

यहूदी ने जवाब दिया “देखा? एक ही दिन में तुम भी होशियार बनने लगे हो”

सोमवार, 12 मार्च 2012

अकलमंदी

नसरुद्दीन अपने घर के बाहर रोटियों के टुकड़े बिखेर रहा था.

उसे यह करता देख एक पड़ोसी ने पूछा – “ये क्या कर रहे हो मुल्ला!?”

“शेरों को दूर रखने का यह बेहतरीन तरीका है” – मुल्ला ने कहा.

“लेकिन इस इलाके में तो एक भी शेर नहीं है!” – पड़ोसी ने हैरत से कहा.

मुल्ला बोला – “तरीका वाकई कारगर है, नहीं क्या?”

(इदरीस शाह की कहानी)

रविवार, 11 मार्च 2012

मुसीबत


नसरुद्दीन एक शाम अपने घर से निकला. उसे किन्हीं मित्रों के घर उसे मिलने जाना था. वह चला ही था कि दूर गाँव से उसका एक दोस्त जलाल आ गया. नसरुद्दीन ने कहा, “तुम घर में ठहरो, मैं जरूरी काम से दो-तीन मित्रों को मिलने जा रहा हूँ और लौटकर तुमसे मिलूंगा. अगर तुम थके न हो तो मेरे साथ तुम भी चल सकते हो”.

जलाल ने कहा, “मेरे कपड़े सब धूल-मिट्टी से सन गए हैं. अगर तुम मुझे अपने कपड़े दे दो तो मैं तुम्हारे साथ चलता हूँ. तुम्हारे बगैर यहां बैठकर मैं क्या करूंगा? इसी बहाने मैं भी तुम्हारे मित्रों से मिल लूँगा”.

नसरुद्दीन ने अपने सबसे अच्छे कपड़े जलाल को दे दिए और वे दोनों निकल पड़े.

जिस पहले घर वे दोनों पहुंचे वहां नसरुद्दीन ने कहा, “मैं इनसे आपका परिचय करा दूं, ये हैं मेरे दोस्त जलाल. और जो कपड़े इन्होंने पहने हैं वे मेरे हैं”.

जलाल यह सुनकर बहुत हैरान हुआ. इस सच को कहने की कोई भी जरुरत न थी. बाहर निकलते ही जलाल ने कहा, “कैसी बात करते हो, नसरुद्दीन! कपड़ों की बात उठाने की क्या जरूरत थी? अब देखो, दूसरे घर में कपड़ों की कोई बात मत उठाना”.

वे दूसरे घर पहुंचे. नसरुद्दीन ने कहा, “इनसे परिचय करा दूं. ये हैं मेरे पुराने मित्र जलाल; रही कपड़ों की बात, सो इनके ही हैं, मेरे नहीं हैं”.

जलाल फिर हैरान हुआ. बाहर निकलकर उसने कहा, “तुम्हें हो क्या गया है? इस बात को उठाने की कोई क्या जरूरत थी कि कपड़े किसके हैं? और यह कहना भी कि इनके ही हैं, शक पैदा करता है, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो?”

नसरुद्दीन ने कहा, “मैं मुश्किल में पड़ गया. वह पहली बात मेरे मन में गूंजती रह गई, उसकी प्रतिक्रिया हो गई. सोचा कि गलती हो गई. मैंने कहा, कपड़े मेरे हैं तो मैंने कहा, सुधार कर लूं, कह दूं कि कपड़े इन्हीं के हैं”. जलाल ने कहा, “अब ध्यान रखना कि इसकी बात ही न उठे. यह बात यहीं खत्म हो जानी चाहिए”.

वे तीसरे मित्र के घर पहुंचे. नसरुद्दीन ने कहा, “ये हैं मेरे दोस्त जलाल. रही कपड़ों की बात, सो उठाना उचित नहीं है”. नसरुद्दीन ने जलाल से पूछा, “ठीक है न, कपड़ों की बात उठाने की कोई ज़रुरत ही नहीं है. कपड़े किसी के भी हों, हमें क्या लेना देना, मेरे हों या इनके हों. कपड़ों की बात उठाने का कोई मतलब नहीं है”.

बाहर निकलकर जलाल ने कहा, “अब मैं तुम्हारे साथ और नहीं जा सकूंगा. मैं हैरान हूं, तुम्हें हो क्या रहा है?”

नसरुद्दीन बोला, “मैं अपने ही जाल में फंस गया हूं. मेरे भीतर, जो मैं कर बैठा, उसकी प्रतिक्रियाएं हुई चली जा रही हैं. मैंने सोचा कि ये दोनों बातें भूल से हो गयीं, कि मैंने अपना कहा और फिर तुम्हारा कहा. तो मैंने तय किया कि अब मुझे कुछ भी नहीं कहना चाहिए, यही सोचकर भीतर गया था. लेकिन बार-बार यह होने लगा कि यह कपड़ों की बात करना बिलकुल ठीक नहीं है. और उन दोनों की प्रतिक्रिया यह हुई कि मेरे मुंह से यह निकल गया और जब निकल गया तो समझाना जरूरी हो गया कि कपड़े किसी के भी हों, क्या लेना-देना”.

यह जो नसरुद्दीन जिस मुसीबत में फंस गया होगा बेचारा, पूरी मनुष्य जाति ऐसी मुसीबत में फंसी है। एक सिलसिला, एक गलत सिलसिला शुरू हो गया है. और उस गलत सिलसिले के हर कदम पर और गलती बढ़ती चली जाती है. जितना हम उसे सुधारने की कोशिश करते हैं, वह बात उतनी ही उलझती चली जाती है.

(http://hindizen.com से )

लाल फुल वाला पेड़


बहुत पुरानी बात है. किसी राज्य में लोग लाल फूल वाले एक पेड़ की बात किया करते थे लेकिन किसी ने भी कभी उस पेड़ को नहीं देखा था. उस राज्य में चार राजकुमार भाई थे. उन सभी ने उस पेड़ को ढूंढ निकालने का निश्चय किया. प्रत्येक राजकुमार चाहता था कि सबसे पहले पेड़ को वही ढूंढ निकाले.

सबसे बड़े राजकुमार ने अपने रथ के सारथी से कहा कि वह रथ को गहरे घने जंगल में ले चले जहाँ उस पेड़ के मिलने की उसे उम्मीद थी. वह पतझड़ का मौसम था. बहुत प्रयास करने के बाद वह एक अनजान से दिखनेवाले पेड़ के पास पहुंचा. उस पेड़ पर एक भी पत्ता या फूल नहीं था. पेड़ बिलकुल मनहूस झाड़ जैसा लग रहा था. राजकुमार यह नहीं समझ पाया कि लोग उसे लाल फूल वाला पेड़ क्यों कहते हैं. वह चुपचाप वापस आ गया.

वसंत के मौसम में दूसरा राजकुमार उस पेड़ को ढूँढने में सफल हो गया. उस समय वह अद्वितीय लाल फूलों से लदा हुआ था.

गर्मी के मौसम में तीसरा राजकुमार उस पेड़ तक पहुँच गया. तब तक पेड़ के सारे फूल झड़ चुके थे और वह दूसरे पेड़ों की ही तरह साधारण पेड़ लग रहा था. तीसरा राजकुमार भी मन मसोस कर वापस आ गया.

वर्षा ऋतु की समाप्ति के बाद चौथा और सबसे छोटा राजकुमार जंगल में गया और उसने भी लाल फूल वाले पेड़ को ढूंढ निकाला. पेड़ पर बहुत छोटी-छोटी कलियाँ लगने लगी थीं.

महल वापस आने पर वह ख़ुशी से फूला नहीं समा रहा था. “मैंने लाल फूल वाला पेड़ खोज लिया! मैंने लाल फूल वाला पेड़ खोज लिया!” – यह चिल्लाता हुआ वह महल में उस स्थान पर पहुंचा जहाँ उसके अन्य भाई खेल रहे थे.

“मैंने भी उस पेड़ को ढूंढ निकला” – बड़े राजकुमार ने कहा – “उसमें पेड़ जैसा कुछ नहीं है. वह सर्वथा नग्न और निर्जीव प्रतीत होता है.”

“ऐसा कैसे हो सकता है!?” – दूसरा राजकुमार बोल उठा – “उस पेड़ पर तो सबसे सुन्दर और अनूठे लाल फूल लगते हैं! इसीलिए तो उसे लाल फूल वाला पेड़ कहा जाता है!”

तीसरा राजकुमार बोला – “कैसे लाल फूल!? उसमें कोई फूल नहीं लगते. वह अन्य पेड़ों की भांति एक साधारण पेड़ ही है. लाल फूल वाला पेड़ संभवतः होता ही नहीं है.”

उस सबकी बातें सुनकर चौथा और सबसे छोटा राजकुमार बोला – “मैंने तो उस पेड़ को अपनी आँखों से देखा है! वह निर्जीव पेड़ नहीं है. उसमें सिर्फ कलियाँ या पत्ते भी नहीं लगते. उसमें केवल सुन्दर लाल फूल ही लगते हैं”.

पास खड़े राजा ने उन सबकी बहस सुनी और उनको चुप कराया. फिर राजा ने कहा – “बच्चों, तुम सबने एक ही पेड़ को देखा है, लेकिन सबने वर्ष के अलग-अलग मौसम में उसे देखा है.”

(http://hindizen.com से )

शनिवार, 10 मार्च 2012

अर्थ अनर्थ...

मजदूर :
वह शख्स, जो मज़े से दूर हो

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जीवनसाथी :
वह, जो हर उस संकट के समय आपके साथ खड़ा रहता है जो यदि आप अविवाहित होते तो शायद कभी आता

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परमाणु-बम :
एक ऐसा अविष्कार, जिसका अविष्कार दुनिया के बाकि सरे आविष्कारो को ख़त्म करने के लिए किया गया है

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आदर्श पत्नी :
जो बर्तन, कपडा, झाड़ू, पोछा... कहने का मतलब घर के सभी काम करने में पति की मदद करे

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गाली :
क्रोध के समय मुख से निकले शब्द अथवा शब्दों का समूह, जिनके उच्चारण के पश्चात व्यक्ति के ह्रदय को शांति का अनुभव होता है

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मनोचिकित्सक :
जो भरी फीस लेकर आपसे ऐसे सवाल पूछता है , जैसे आपसे आपकी पत्नी यु ही पूछती रहती है

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राय :
वह इकलौती वस्तु जिसका देना अधिक सुखद है उसके लेने की अपेक्षा

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अधिकारी :
वह जो आपके पहुचने के पहले ऑफिस पहुच जाता है , और यदि आप जल्दी पहुच जाये तो काफी देर से आता है

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नेता :
वह शख्स जो देश के लिए आपकी क़ुरबानी देने को हमेशा तयार रहता है

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पडोसी :
वह महानुभाव जो आपके मामलो को आपसे ज्यादा समजता है

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शादी :
यहाँ मालूम करने का तरीका की आपकी बीवी को कैसा पति पसंद आता है

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ज्ञानी :
वह शख्स जिसे प्रभावी ढंग से,सीधी बात को उल्जाना आता है

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आमदनी :
जिसमे रहा जा सके, और जिसके बैगेर भी रहा जा सके

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राजनेता :
ऐसा आदमी जो धनवानों से धन और गरीबो से वोट इस वादे पे बटोरता है, की वह एक की दुसरे से रक्षा करेगा

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आशावादी :

वह शख्स, जो सिगरेट मांगने के पहले दियासलाई जला लेता है

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ज्ञान की बाते मुफ्त में ...

* यदि आप किसी दिन सुबह बजे टोकियो से हवाई जहाज द्वारा रवाना हो ,
तो आप पिछले दिन, यानि टोकियो से रवाना होने की तारीख से एक दिन पहले, शाम .३० बजे होनोलूलू पहुच जायेगे।

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* अपनी गुफा से निकलते समय, चमगादड़ हमेशा बाई तरफ ही मुड़ते है

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* जिराफ की जीभ इतनी लम्बी होती है की वो अपने कान तक उससे साफ़ कर सकता है

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* कही अनहोनी हो जाये, इसी वजह से प्रिन्स चार्ल्स और प्रिन्स विलियम एक साथ एक ही हवाई जहाज से यात्रा नहीं करते

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* लॉस वेगास के जुवाघरो में घडिया नहीं होती

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* हर साल लगभग २५०० बाये हाथ से काम करने वाले लोग, उन वस्तुओ उपकरणों का उपयोग करने से मर जाते है जिन्हें दये हाथ से काम करने वाले लोगो के लिए बनाया जाता है

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* गधे के आंख की स्तिथि कुछ ऐसी होती है, की वो अपने चारो पैरो को एक साथ देख सकता है

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* कॉकरोच सर कटने के बाद भी कही सप्ताह तक जिंदा रह सकता है, दरअसल वो सर कटने से नहीं बल्कि भूख से मर जाता है

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शुक्रवार, 9 मार्च 2012

होली के १० सुप्रसिद्ध गीत....

रंग राधा हुई


रंग रंग राधा हुई, कान्हा हुए गुलाल

वृन्दावन होली हुआ सखिया रचे धमाल...



होली राधा शाम की और न होली कोए

जो मान रचे शाम रंग रंग न चडे कोए...



आसमान टेसू हुआ धरती सब पुखराज

मान सारा केसर हुआ तन सारा रुतुराज...



अंजुरी में भरपूर हो सधा रूप रस गंध

जीवन में अठखेलिय करता रहे बसंत...
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आशा है सबकी होली रंग बिरंगी खुशियों से भरी गुजारी हो
ऐसी ही खुशियाँ जीवनभर रंगती रहे आपके जीवन को....

बुधवार, 7 मार्च 2012

होली है तो भंग पीकर इन व्यंगो का मज़ा लीजिये


एक टोपी बेचने वाला दरख्त के नीचे आराम कर रहा था कि अचानक कुछ बंदर उसकी सारी टोपियाँ उठा कर ले गए। इन्सान की नकल करते बंदर को ख्याल आया और आदमी ने अपनी टोपी उतार के नीचे फेंकी तो बंदरो ने भी वैसा ही किया ... और आदमी अपनी टोपियाँ उठा के चला गया घर जाकर उसने ये वाकया अपने पोते को सुनाया।
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इत्तिफाक से सालों बाद पोता भी टोपियाँ बेचते हुए उस दरख्त के नीचे बैठा और बंदर फिर टोपियाँ ले गए। उसे अपने दादा की सुनाई हुई कहानी याद आई और उसने अपने सिर की टोपी उतार कर नीचे फेक दी।
यह देख एक बन्दर पेड़ से नीचे आया उसने टोपी को उठाया और आदमी को एक थप्पड़ मार कर बोला। अबे तू क्या सोचता है क्या हमारा दादा हमको कहानी नही सुनाता होगा!!!
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रजनीकांत वस अशोक सराफ
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रजनीकांत : बचपन में मेरे घर लाइट नहीं थी तो मैंने अगरबत्ती लगाकर पढाई की है !
अशोक : हो क्या
वो क्या है हमारे इधर भी लोड शेडिंग रहती थी और अगरबत्ती भी नहीं थी ,
फिर क्या
मेरा एक दोस्त था "प्रकाश" नाम का उसको साथ बिठाके पढाई की ,
पर फिर आगे वो बरसात में भीग गया और बुझ गया !
रजनीकांत : फिर क्या किया ...?
अशोक : कुछ नहीं ,
मेरी एक सहेली भी थी "ज्योति" नाम की ...:-/
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डॉक्टर संता, (मरीज बंता से): अब तबीयत कैसी है?
बंता: पहले से ज्यादा खराब है।
डॉक्टर: दवा खा ली थी?
बंता: नहीं दवाई की शीशी भरी हुई थी।
डॉक्टर: मेरे कहने का मतलब है कि दवा ले ली थी?
बंता: जी,आपने दी और मैंने ले ली।
डॉक्टर: अरे भाई, दवाई पी ली थी?
बंता: नहीं दवाई तो लाल थी।
डॉक्टर: बेवकूफ,दवाई को पी लिया था?
बंता: नहीं डॉक्टर साहब,पीलिया दवाई को नहीं मुझे था।
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दोस्त संता से: संता जी ये मोबाइल नया लिया है क्या??
संता: नहीं यार अपनी गर्लफ्रेंड का उठा कर ले आया हूँ.
दोस्त: क्यों?
संता: यार वो जब भी मिलती थी तो कहती थी "तुम मेरा फ़ोन क्यों नही उठाते??
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एक आदमी ने अपने घर फोन किया तो उधर से एक अनजान महिला की आवाज आई।

'कौन ?' - आदमी ने पूछा।
'मैं घर की नौकरानी बोल रही हूं ...' - महिला ने उत्तर दिया।
'लेकिन हमारे घर में तो कोई नौकरानी नहीं है।' - आदमी ने कहा।
'मुझे घर की मालकिन ने आज सुबह ही नौकरी पर रखा है।' नौकरानी ने जवाब दिया।
'अच्छा ठीक है, सुनो। इस वक्त तुम्हारी मालकिन कहां हैं ? मुझे उनसे बात करनी है।' - आदमी ने कहा
'वह तो बेडरूम में हैं। अपने पति के साथ।' - नौकरानी ने जवाब दिया।
'क्याऽऽऽ…? पति के साथ……? पर उसका पति तो मैं हूं …….. ' - आदमी गुस्से से भन्ना गया। उसने एक मिनट कुछ सोचा फिर बोला - 'हैलो ….. सुनो क्या तुम पचास हजार रूपये कमाना चाहोगी?'

'हां पर मुझे करना क्या होगा?' - नौकरानी ने पूछा
'तुम मेरी अलमारी से बंदूक निकालो और उस कुतिया और उसके साथ जो आदमी है उसे गोली से उड़ा दो।'
नौकरानी ने फोन नीचे रख दिया। आदमी ने पहले कदमों की और फिर दो गोलियां चलने की आवाज फोन पर सुनी।
नौकरानी ने वापस फोन उठाया और पूछा - 'अब इन लाशों का क्या करूं ?'
'उन्हें स्वीमिंग पूल में डाल दो।' - आदमी ने कहा

'...पर आपके घर में तो स्वीमिंग पूल नहीं है!' - नौकरानी ने जवाब दिया।

लगभग तीन-चार मिनट तक दोनों तरफ खामोशी छाई रही फिर आदमी की आवाज आई - "क्या ये नम्बर 7457965 ही है?"
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संता मैंगो जूस का ग्लास लेकर बैठा था। बंता आया और फटाक से जूस पी गया। संता: मेरी तो यार किस्मत ही खराब है। बेटा फेल हो गया,बीवी दोस्त के साथ भाग गई,घर में चोरी हो गई,नल में पानी नहीं है,घर में लाइट नहीं है। अब जूस में जहर डाल कर पीने को रखा था तो वो भी तू पी गया साले!!!
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ता सिंग पानी में डूब रहा था ..इतने में उसके हाथ में एक मछली गई .उसमे उसे हाथ मेर लेकर पानी के बाहर फेक दिया और कहा मै तो डूब रहा हूँ ..तुम ही बच जाओ
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एक व्यापारी के मुर्गी पालन केंद्र में कुछ व्यक्ति पहुंचे और पूछा - आप अपनी मुर्गियों को क्या खिलाते हैं ?? उसने बड़े गर्व से बताया - काजू, किशमिश और मेवे ..... आगंतुकों ने कहा की देश में लोग भूखे रहते हैं और तुम मुर्गियों को मेवे खिलाते हो ?? हम आयकर विभाग से हैं ?? चालान होगा.......................... बेचारा दुखी बैठा था के कुछ नए लोग गए ............ फिर वही सवाल - आप अपनी मुर्गियों को क्या खिलाते हैं ?? उसने रंज के साथ बताया - साहब अरे हम हम तो इनको कचरे में छोड़ देते हैं - चुग के जाती है.............. आगंतुकों ने कहा - इतना अत्याचार - जब खिला नहीं सकते तो फिर पालते क्यों हो ?? हम पशु और जीव अधिनियम से हैं --- चालान होगा .................... बेचारा बहुत दुखी हो गया ............................ थोड़ी देर बाद कुछ नए लोग आये ------------ फिर वही सवाल - आप अपनी मुर्गियों को क्या खिलाते हैं ?? अब उसको बहुत गुस्सा गई.... उसने कहा साहब मेरे पास कोई व्यवस्था नहीं है में सबको - रूपये दे देता हूँ - जिसको जो खाना खाकर जाती है ||
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संता (बंता से)- अंग्रेजों ने चांद पर पानी और बर्फ की खोज कर ली है।

बंता (संता से)- तो हमें अब सिर्फ दारु और नमकीन लेकर जाना है।
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एक मुर्गी मार्किट गयी और दुकानदार से बोली, एक अंडा देना।

दुकानदार- शर्म नही आती, मुर्गी होकर अंडा खरीदती हो।

मुर्गी- मेरे पति ने कहा है कि 3 रुपए केअंडे के लिए अपना फिगर खराब मत करो।
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एक सरदार जी काक्रोच पर शोध कर रहे थे.... उन्होंने उसकी एक टांग तोड़ी - बोले चल ---- काक्रोच थोड़ी देर से उठ लेकिन चलने लगा.....
सरदार जी ने दूसरी टांग तोड़ी ........... फिर कहा चल.... काक्रोच ... देर से उठा - लेकिन चलने लगा.....
सरदार जी ने तीसरी टांग तोड़ी ........... फिर कहा चल.... काक्रोच ... बहुत देर से उठा - लेकिन चलने लगा.....
सरदार जी ने चौथी टांग तोड़ी ........... फिर कहा चल.... काक्रोच ... बहुत देर से उठा - लेकिन घिसट घिसट कर चलने लगा.....
सरदार जी ने सभी टांग तोड़ दी ........... फिर कहा चल.... काक्रोच ... नहीं उठ पाया ..................
सरदार जी ने शोध में लिखा - काक्रोच की सभी टांग तोड़ने से वो बहरा हो जाता है
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पंजाब केसरी मेंशराब छुडायें’ ’शराब छुडायेंऎड पढ कर संता बाबा के पास पहुंचा.
संता - ’सुना है आप शर्तिया शराब छुडाते हैं ?
बाबा - हां, किसकी छुडानी है ?
संता - मेरी ही,
कल रात जी आर पी ने तीन पेटी पकड ली स्टेशन पर.
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एक शराबी की दास्ताँ ..

सोच रहा हूँ की दारु छोड दूँ ..!

पर ...

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किसके पास छोडूँ..... .!

सभी कमीने हैं ,

पी जायेंगे साले....... .
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