इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए !
आज ये दिवार,पर्दों की तरह हिलने लगी
शर्त लेकिन थी की ये बुनियाद हिलनी चाहिए !
हर सड़क पे, हर गली में, हर नगर, हर गाँव में
हाथ लहराते हुए हर लाश चलनी चाहिए !
सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
मेरी कोशिश ये है की ये सूरत बदलनी चाहिए !
मेरे सिने में नहीं तो तेरे सिने में सही
हो कही भी आग लेकिन आग जलनी चाहिए !
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें